बहता पानी निर्मला, बंधा गंदा होये | साधु जन रमता भला, दाग न लागे कोये || वक्ता: बहने से क्या तात्पर्य है? रुकने से क्या तात्पर्य
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न समर्थन, न विरोध
साधु ऐसा चाहिए, दुखै दुखावे नाहि। पान फूल छेड़े नहीं, बसै बगीचा माहि।। वक्ता: कल रात में जो लोग साथ थे, उनसे एक बात कही
असली रण अपने विरुद्ध है
कबिरा रण में आइ के, पीछे रहे न सूर | साईं के सन्मुख रहे, जूझे सदा हुजूर || -कबीर प्रश्न: जूझने की बात क्यों की जा रही है ?
प्रेम प्रथम या ध्यान
वक्ता: ऐसा कैसे हो गया कि हर गोपी को लग रहा है कि कृष्ण मेरे ही पास हैं? ऐसा कैसे हो गया? हम जिस द्वैत
विधियों की सीमा
चुपै चुप ना होवई जे लाइ रहा लिव तार – जपुजी साहिब(पौड़ी १) अनुवाद: मौन धारण
धर्मग्रन्थ- समयसापेक्ष और समयातीत
वक्ता: जब भी कोई बात कही जाती है ना, कही तो मन से ही जा रही है| हमें दो बातों में अंतर करना सीखना होगा| जो बात कही