अहम को हमेशा जुड़ने के लिये कोई चाहिये।
तो अहम को शान्ति देने का, लय देने का यही तरीका है कि – उसे सही वस्तु के साथ जोड़ दो।
और कोई तरीका नहीं है।
जुड़ेगा तो वो है ही, निश्चित रूप से जुड़ेगा।
अकेला वो नहीं रह सकता।
वो प्रतिपल किसी-न-किसी व्यक्ति, वस्तु, विचार के साथ जुड़ा ही हुआ है।
जब उसे जुड़ना ही है, तो उसे सही संगति दो न।