निष्काम कर्म, अनासक्त कर्म, कबीर साहब को शोभा देता है, हमको नहीं।
हमारे लिये तो ज़रूरी है कि कर्म सोद्देश्य हो, कर्म सकाम हो।
और कर्म का बड़ा सीधा-सीधा उद्देश्य हो – बंधनों से मुक्ति, भ्रम का कटना, भय-मोह का मिटना।
निष्काम कर्म, अनासक्त कर्म, कबीर साहब को शोभा देता है, हमको नहीं।
हमारे लिये तो ज़रूरी है कि कर्म सोद्देश्य हो, कर्म सकाम हो।
और कर्म का बड़ा सीधा-सीधा उद्देश्य हो – बंधनों से मुक्ति, भ्रम का कटना, भय-मोह का मिटना।
उद्धरण:
मार्च – अप्रैल’१९ में प्रकाशित लेखों से
तो सिर्फ इसलिये कि कोई बार-बार श्लोक पढ़ देता है, उद्धरण बता देता है, या कोई दोहा बोल देता है, उसको आध्यात्मिक मान लीजियेगा।
संभावना ये भी है, कि वो अध्यात्म का दुरुपयोग कर रहा होगा।
वो अध्यात्म का उपयोग कर रहा हो, खुद को सजाने के लिये, और वो अध्यात्म का उपयोग कर रहा हो, दूसरों को गिराने के लिये।
अध्यात्म कायदे से वो बन्दूक है, जो अपने ऊपर चलती है, कि तुम मिट जाओ।
किसी कर्म के पीछे क्या है, ये जानना हो तो, ये देख लो, कि उस कर्म के आगे क्या है।
आगे क्या है? परिणाम।
पीछे क्या है? कारण।
कारण क्या है है किसी कर्म का, ये जानना हो, तो उस कर्म का परिणाम देख लो।
उक्तियाँ,
जनवरी’१९ – फरवरी’१९
उक्तियाँ,
मार्च’१९ – अप्रैल’१९