हमें पता होना चाहिए कि इससे आगे हम नहीं झेलेंगे।
कोई भी चीज़ इस संसार की इतनी क़ीमती नहीं कि उसके लिए अपनी आत्यंतिक शांति को दाँव पर लगा दें।
हमें पता होना चाहिए कि इससे आगे हम नहीं झेलेंगे।
कोई भी चीज़ इस संसार की इतनी क़ीमती नहीं कि उसके लिए अपनी आत्यंतिक शांति को दाँव पर लगा दें।
जो वास्तव में बड़ा होता जाता है, कर्म वो भी करता है, पर उन कर्मों से उसकी कोई लिप्तता, कोई वासना नहीं होती।
कर्म भर करता है, फल छोड़ देता है।
फल दूसरों के लिए हैं।
अपनी इच्छा ही नहीं है कुछ पाने की।
कर्म पूरा है, फल की इच्छा नहीं है।
बहुत मसलों को मैं खुला छोड़ देता हूँ।
कहता हूँ, “आप देखिए, आप के होश की बात है।”
इस मसले को मैं कभी खुला नहीं छोड़ता क्योंकि बात व्यक्तिगत नहीं है।
ये इस दुनिया के लोगों की बात है, और जानवरों के पक्षियों के, पूरी पृथ्वी के अस्तित्व का सवाल है।
तुम जो बच्चा पैदा करोगे, वो खाना माँगेगा।
और उसको खाना देने के लिए जंगल कटेंगे।
और मुझे बिलकुल नहीं पसंद कि जानवर मरें, पक्षी मरें क्योंकि लोगों को बच्चे पैदा करने हैं ।
मात्र विशिष्ट संगीत है जो बंधनों को काटता है।
बहुत ही ख़ास स्त्रोत से आया हुआ।
ध्यान से उठता है संगीत, तब उसमें वो विशिष्ट गुणवत्ता आती है।
इसीलिए शास्त्रीय संगीत होता दूसरे आयाम का है।
अगर ऐसे लोगों की संगति है तुम्हारी जो तुम्हें बार-बार यही याद दिलाते हैं कि तुम्हारी उम्र क्या है, तुम्हारा क़द क्या है, तुम्हारा रूप-रंग क्या है, तो ऐसों की संगति से बचो।
कोई भी पहचान तुम्हारी तो होती नहीं ।
दुनिया तुम्हारे ऊपर पहचान थोपती है।
तो जो लोग, जो माहौल, जो संगति तुम्हारे ऊपर कोई भी पहचान थोपती हो, उस संगति से बचो ।
ऐसा लड़ाका चाहिए।
पुर्ज़ा -पुर्ज़ा कट जाए उसका, अंग-अंग कटके गिर जाए लड़ाई में, फ़िर भी वो लड़ाई से हटे नहीं ।
और इस सूरमा की पहचान जानते हो क्या है? ये अपनी सारी अशांति पीछे छोड़कर जाता है।
ये सिर पहले कटाता है, फ़िर युद्ध में जाता है।
अब अशांत कौन होगा? ये सिर अशांति का गढ़ था, वो इसको ही पीछे छोड़ आया ।