गुरु की उपस्थिति सबसे बड़ा अनुशासन होती है। उपस्थिति भी, अनुपस्थिति भी। जब वो गुरु सा आचरण न कर रहा हो, उस वक़्त अगर ढीले
Category: उद्धरण
शान्ति वो आराम है जो निर्बाध्य रहता है, अक्षुण्ण रहता है, अविचल रहता है
एक मोटा आदमी कुर्सी पर बैठ के आराम कर रहा है। और एक स्वस्थ, सुडौल, मज़बूत काठी का छरहरा आदमी दूसरी कुर्सी पर बैठा हुआ
आदर्शवादी मत बन जाना
जो है जैसा है, यही है। देखो इसे, समझो इसे, और पार निकल जाओ इसके। आदर्श की प्रतीक्षा में रह गए, तो प्रतीक्षा मात्र मिलेगी।
विशुद्ध चेतना का नाम ही परमात्मा है।
आस्तिक सभी हैं, बस अपनी अपनी तरह के आस्तिक हैं। असली आस्तिक कोई नहीं है। सब? अपनी अपनी तरह के आस्तिक हैं। निर्वैयक्तिक आस्तिक कोई
मुक्ति पानी नहीं है मुक्ति भीतर बैठी है, वो लगातार आवाज़ देती है।
मुक्ति पानी नहीं है मुक्ति भीतर बैठी है, वो लगातार आवाज़ देती है। आनन्द पाना नहीं है, मिला ही हुआ है वो भी लगातार आवाज़
ऊँ जीवन शिक्षा है कि कैसे जिया जाए।
कोई ये न सोचे कि जब शब्दहीनता होगी तब मौन आएगा। फिर तो तुमनें दो अलग – अलग खाँचे, कमरे, कम्पार्टमेंट बना दिये। तुमनें कह